मोतीलाल तेजावत वाक्य
उच्चारण: [ motilaal taavet ]
उदाहरण वाक्य
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- पिता श्री मोतीलाल तेजावत भीलों के एकछत्र क्रांतिकारी नेता थे।
- (अ) मोतीलाल तेजावत (ब) राव गोपालसिंह
- सरगना मोतीलाल तेजावत मौका देखकर भाग गया जो काफी साल बाद सरकार के सामने सरण्डर हुआ।
- पिता श्री मोतीलाल तेजावत भी गिरफतार कर लिये गये व ६ माह की सजा हो गई।
- सरगना मोतीलाल तेजावत मौका देखकर भाग गया जो काफी साल बाद सरकार के सामने सरण्डर हुआ।
- मोतीलाल तेजावत ने भील आन्दोलन का नेतृत्व किया, जिसके कारण इस आन्दोलन ने और जोर पकड़ लिया।
- आगे चल कर गोविन्द गुरू और मोतीलाल तेजावत के भील आन्दोलन के सफलता के पीछे इनका ही भगत आन्दोलन था।
- ‘‘ऐसा बाताया जाता है कि वर्ष 1921 में कोटड़ा में क्यार नामक गाँव में मोतीलाल तेजावत नाम का व्यक्ति रहता था।
- आधुनिक राजस्थान का निर्माता: मोहन लाल सुखाड़िया,वागड़ का गांधी: भोगीलाल पंड्या,राजस्थान का आदिवासियों का मसीहा: मोतीलाल तेजावत
- प्रासांगिक अंश निम्न प्रकार हैं-‘‘ ऐसा बाताया जाता है कि वर्ष 1921 में कोटड़ा में क्यार नामक गाँव में मोतीलाल तेजावत नाम का व्यक्ति रहता था।
- उदयपुर के भूरेलाल बया, बलवन्त सिंह मेहता, मोहनलाल सुखाड़िया, मोतीलाल तेजावत, शिवचरण माथुर, हीरालाल कोठारी, प्यारचंद विश्नोई, रोशनलाल बोर्दिया आदि गिरफ्तार हुए।
- जबकि राजस्थान के राजपूताना इलाकों में मोतीलाल तेजावत ने रियासती जुल्म के खिलाफ जब किसानों को एकजुट किया तो रियासत ने अंग्रेजों के फौज की मदद से भीलों पर गोलियां बरसा दी थी।
- जैसा मुझे पाल चित् तरिया-पाल दड़वाह में सुरेश भाई ने बताया था उसके मुताबिक मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में विजयनगर रियासत के उस स्थल पर आठ से दस हजार आदिवासी एकत्रित हुए थे।
- जबकि राजस्थान के राजपूताना इलाकों में मोतीलाल तेजावत ने रियासती जुल्म के खिलाफ जब किसानों को एकजुट किया तो रियासत ने अंग्रेजों के फौज की मदद से भीलों पर गोलियां बरसा दी थी।
- राजस्थान के महान क्रांतिकारी मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में भूला-बिलोरिया (जिला सिरोही, राजस्थान) व पालचिŸारिया (गुजरात) में सन् 1922 में अंग्रेजी व रियासती फौजों के साथ आदिवासियों का संघर्ष हुआ था।
- इस पर कमांडेंट एम. बी.सी. एक कम्पनी मय हथियार के पाल चित्तरिया पहुँचे एवं भीड़ को बिखर जाने व मोतीलाल तेजावत को सरेण्डर होने के लिए वार्निंग दी परन्तु इसका कोई असर नहीं होने पर घेरा डालकर फायर का आदेश दिया एवं कई लोग फायरिंग में मारे गये।
- 31 दिसम्बर, 1921 को महाराणा ने एक आदेश जारी कर भोमट के कोटड़ा और खेरवाड़ा क्षेत्रों में पचास से अधिक आदिवासियों के एकत्रित होने पर रोक लगा दी और घोषणा की कि जो भी मोतीलाल तेजावत को गिरफ्तार करवाने में सहायता करेगा उसे 500 रूपये पुरस्कार के रूप में दिये जायेंगे।
- इस पर कमांडेंट एम. बी. सी. एक कम्पनी मय हथियार के पाल चित् तरिया पहुँचे एवं भीड़ को बिखर जाने व मोतीलाल तेजावत को सरेण्डर होने के लिए वार्निंग दी परन्तु इसका कोई असर नहीं होने पर घेरा डालकर फायर का आदेश दिया एवं कई लोग फायरिंग में मारे गये।
- मोतीलाल तेजावत, साधू सीता रामदास, चित्रांगद, जालोर का शासक, वह स्वयं विद्वान नहीं था पर विद्वानों को आश्रय देता था, नवीन राजस्थान, न्यायाधीश राजेश बालिया, टी श्रीनिवासन, 1959 में, 243-बी, न्यायाधीश जी. एल. गुप्ता, 25, अलवर, आदिवासी, 2008 में, असंलाग्नता अथवा गुट निरपेक्ष विदेश नीति का अवलंबन करना, भारतीय अधिनियम 1919, जवाहल लाल नेहरु, १९४२, डा.
- यद्यपि पालचित्तरिया के विषय में कोई ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं मिला लेकिन मोतीलाल तेजावत के विषय में जो सामग्री मिली है वह मेरे लिए पर्याप्त है चूँकि उसमें पालचित्तरिया की घटना के पर्याप्त संदर्भ हैं चाहे वह आर. पी. व्यास की इतिहास-पुस्तक हो या प्रेमसिंह कांकरिया की मोतीलाल तेजावत वाला व्यक्तित्व हो या पेमाराम द्वारा संकलित सामग्री या पत्र-पत्रिकाओं में बाद में छपे आलेख या फिर ऐतिहासिक ग्रंथ वीर विनोद।
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